वानस्पतिक नाम : कुकुमिस सैटिवस
कुल : कुकुर्बिटेसी
गुणसूत्र संख्या : 2n=14
जन्म स्थल : भारत
महत्वपूर्ण बिन्दु
- तरबूज की खेती के बाद दूसरे नंबर पर खीरे की खेती की जाती है
- खीरा तापरागी होता है और पाले के प्रति संवेदनशील होता है ।
- GA3 और AgNO3 gynoecious किस्मों में नर पुष्पों को बढ़ाता है।
- खीरे की खुली परागणित (Open pollinated) किस्में monoecious होती हैं।
- पुष्पन (एंथेसिस) प्रकाश की तीव्रता और दिन की लंबाई से प्रभावित होता है।
- खीरे में सुगंध युक्त यौगिक नॉनडायनल (Nonadienal) है।
क्षेत्रफल और उत्पादन
Year | Area (‘000 ha) | Production (‘000 MT) |
2016-17 | 74 | 1142 |
2017-18 | 82 | 1260 |
Source: NHB Data base 2018
Table: State wise area and production in 2018
Sr. No. | States | 2017-18 |
|
Area | Production | ||
1 | Haryana | 17.39 | 274.40 |
2 | Madhya Pradesh | 9.46 | 154.52 |
3 | Karnataka | 8.27 | 131.96 |
4 | Andhra Pradesh | 4.32 | 99.16 |
5 | Uttar Pradesh | 3.26 | 81.47 |
6 | Punjab | 3.61 | 80.02 |
Source: NHB data base 2018
आर्थिक महत्व
- कब्ज, पीलिया और अपच से पीड़ित लोगों के लिए खीरे का सेवन अच्छा रहता हैं।
- यह विटामिन बी और सी के साथ-साथ कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा और पोटेशियम जैसे खनिजों में समृद्ध होता है फलों में प्रति 100 ग्राम ताजा वजन में 4% प्रोटीन, 1.5mg आयरन और 2 mg विटामिन C होता है।
- खीरा और gherkin के अपरिपक्व फल सलाद के रूप में और अचार बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- बीज के तेल को एंटीपीयरेटिक (antipyretic) के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
- खीरे में ककुर्बिटासिन (Cucurbitacin) नामक कड़वा पदार्थ पाया जाता है जो tetra cyclic triterpenes होता है।
किस्में
- पुरः स्थापित
स्ट्रेट ऐट | चाइना लॉन्ग | जपानीज़ लॉन्ग ग्रीन |
पॉइन्सेट |
- चयन
शीतल
- संकर
हिमांगी: पॉइन्सेट x कल्याणपुर अगेती, ब्रोंजिंग के लिए प्रतिरोधी।
फुले सुभांगी: पॉइन्सेट x कल्याणपुर अगेती, ब्रोंजिंग के लिए प्रतिरोधी
पूसा संयोग: gynoecious पेरन्ट का उपयोग।
प्रिया
सोलन हाइब्रिड
- अन्य किस्में
स्वर्ण पूर्ण
स्वर्ण शीता
शीतल
एएयूसी 2
पॉइन्सेट: पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू, एन्थ्रेक्नोज, एंगुलर लीफ स्पॉट के लिए प्रतिरोधी।
समशीतोष्ण क्षेत्र के लिए उपयुक्त: जापानी लॉन्ग ग्रीन, स्ट्रेट ऐट, पूसा संयोग, के 90।
मोज़ेक प्रतिरोधी किस्में: टेबल ग्रीन, टोक्यो ग्रीन, विंसक्रिमसन, चाइनीज लॉन्ग।
जलवायु
यह मूल रूप से गर्म मौसम की फसल है, लेकिन उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जाता है। यह ठंड के लिए अति संवेदनशील होता है। तापमान 26 -270C इस की खेती के लिए उत्तम रहता है। यदि तापमान 300C से ऊपर चला जाता है, तो उत्पादन काफी कम हो जाता है। यदि दिन का तापमान 20- 300C हो तो खीरे के बीज अच्छी तरह से उगते हैं। आर्द्रता अधिक होने पर पाउडरी मिल्ड्यू, डाउन मिल्ड्यू, एन्थ्रेक्नोज जैसी बीमारियाँ अधिक लगती है।
मिट्टी
खीरे को अच्छी तरह से रेतीली दोमट मिट्टी में उगाया जाता है। जल निकास की व्यवस्था उचित होनी चाहिए । मिट्टी का पीएच (pH) 5.5 से 6.5 होना चाहिए। हल्की मिट्टी का उपयोग वसंत की अगेती फसल लेने के लिए करना चाहिए। भारी मिट्टी में बेल की वृद्धि अधिक होती है और फल देर से पकते हैं। ककड़ी एसीडीक मिट्टी के प्रति संवेदनशील होता
मौसम
- दक्षिण और मध्य भारत में जहाँ सर्दी हल्की होती है, खीरा लगभग पूरे साल उगाया जाता
- पहाड़ी क्षेत्रों में बुआई अप्रैल से मई में की जाती है।
- गर्मियों में खीरे की बुआई जनवरी से फ़रवरी में और बरसाती फसल की बुआई जून से जुलाई में की जाती है।
खेत की तैयारी
खेत की 3 से 4 बार कल्टवेटर से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए।
बीज दर
खीरे की एक हेक्टर की बुआई के लिए लगभग 2.5 kg बीजों को आवश्यकता होती है।
बुआई
खीरे को दो विधियों से उगाया जा सकता है :-
1 कुंड विधि (Furrow method)
इस विधि में कुंड 1.5 से 2.5 की दूरी पर बना लिए जाते है और कुंड के ऊपर बीजों की बुआई की जाती है जिन क्षेत्रों में अगेती फसल लेनी होती है उन क्षेत्रों में बीजों को पहले पॉलिथीन की 10X15cm आकार की थैलियों में उगा लिया जाता है जिस से बीजों को उचित तापमान मिल जाता है और बीज अंकुरित हो जाते है । फिर इन्हें खेत में रोपित कर दिए जाते है ।
2 Hill method
इस विधि में गड्डे (Hills) 60से 90 cm की दूरी पर बनाए जाते है इन गड्ढों को गोबर की खाद और मिट्टी के मिश्रण से बार दिया जाता है । प्रत्येक गड्ढे में 4 से 5 बीज बोए जाते है
खाद व उर्वरक
उर्वरकों का उपयोग हमेशा मिट्टी की जांच के अनुसार ही करना चाहिए।
Table. देश के कुछ क्षत्रों के लिए NPK की अनुशंसित मात्रा
State | N (kg/ha) | P (kg/ha) | K(kg/ha) |
Punjab | 100 | 50 | 50 |
Himachal Pradesh | 100 | 50 | 50 |
Karnataka | 60 | 0 | 50 |
फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा को खेत की अंतिम जुताई के समय देना चाहिए। और शेष नाइट्रोजन को 30-40 दिन बाद खड़ी फसल में छिड़क कर सिंचाई के साथ देनी चाहिए साथ की जड़ों के साथ मिट्टी चढ़ानी चाहिए।
सिंचाई
बसंत और गर्मी के मौसम की फसल में लगातार और हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। परन्तु बरसात के मौसम में सिंचाई आवश्यकता अनुसार करनी चाहिए। क्योंकि खीरा के खेत में अधिक समय तक पानी भरा रहने से फसल को नुकसान होता
खरपतवार नियंत्रण
खीरे की फसल की प्रारम्भिक अवस्था में खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा की टॉप ड्रेसिंग करते समय खेत में निराई गुड़ाई के साथ पौधों की जड़ों के साथ मिट्टी को चढ़ना चाहिए। बुआई से पूर्व खरपतवारनाशी flochloralin 1.20 kg /ha अथवा flochloralin 0.48 kg + nitrogen 0.5 kg/ha को पौध उगने से पूर्व डाल कर खेत को खरपतवार मुक्त किया जा सकता है।
वृद्धि नियामकों का उपयोग
- Ethrel का 150-200 ppm का छिड़काव पुष्पों की संख्या, फलन और उपज को बढ़ाता है
- GA3 का 1500-2000ppm और silver nitrate के 200-300 ppm के घोल का छिड़काव gynocecious किस्मों में नर पुष्पों में वृद्धि करती है
- मिट्टी को 75 ppm paclobutrazol से drench करने से उपज में वृद्धि होती है ।
- सभी रसायनों का छिड़काव पौधे की 2 से 3 पत्तियों की अवस्था पर करनी चाहिए।
काँट छाँट
पौधे की प्रथम शाखाओं को 2 गाँठो (Nodes) के बाद से काटने से अधिक उपज मिलती है
विरलीकरन
जब फसल की बुआई गड्डा (hill) विधि से की गई हो तो प्रत्येक गढ्डे में 2 से 3 पौधे छोड़ कर दूसरे पौधों को हटा देना चाहिए।
तुड़ाई
तुड़ाई की अवस्था किस्मों के ऊपर निर्भर करती है सामान्यतः सलाद के लिए खीरे की तुड़ाई हरी अवस्था में जब फल कोमल होता है और फल पर रोए उपस्थित हो करनी चाहिए। फल की लंबाई लगभग 20-25 cm के आस पास होनी चाहिए। छोटे फल वाली किस्मों में जब फल हरे हो और 8-12 cm लंबे हो तुड़ाई करनी चाहिए। फलों के पीला पड़ने से पहले फलों को तोड़ लेना चाहिए तुड़ाई शुरू होने के बाद फलों की प्रत्येक 2 से 3 दिन में तुड़ाई कर लेनी चाहिए।
उपज (Yield)
Monoecious किस्मों से लगभग 8-12t/ha की उपज खुले खेत में से तथा gynoecious किस्मों से लगभग दो गुणी उपज मिलती है ग्रीन हाउस में खीरे gynoecious किस्मों की 200 टन / हेक्टर तक उपज मिल जाती है।
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