महत्वपूर्ण बिन्दु
- गुलाब इंग्लैंड और ईरान का राष्ट्रीय पुष्प है।
- रोजा पेंडुलिन और रोजा बोर्बोनियाना गुलाब की कांटा रहित प्रजातियाँ है।
- काँटे रहित किस्में – सुचित्रा, पूसा मोहित और ग्रांड गाला है।
- गुलाब के बीज एकेन्स (Acenes) होते है।
- भारत के पहले गुलाब ब्रीडर बी.के. रॉय चौधरी द्वारा 1935 में विकसित किस्म डॉ. एस.डी. मुखर्जी है।
- दूसरा गुलाब प्रजनक बी.एस. भट्टाचार्जी थे जिन्हें ‘गुलाब प्रजनन के जनक’ (Father of rose breeding) के रूप में जाना जाता है, विकसित किस्म रामकृष्णदेव थी।
- डॉ. बी.पी. पाल द्वारा विकसित उनकी पहली गुलाब की किस्म ‘गुलाब शरबत’ थी।
- फूल कलियों के निर्माण के लिए रोज़ा डेमसयाना को सर्दियों में chilling आवश्यकता होती है।
- गुलाब के अन्य भागो की तुलना में, कलि का मिलन स्थान (bud union) पाला (कम तापमान) के प्रति अधिक संवेदनशील होता है।
- संरक्षित घोल (Pulsing solution) – 1-3% शर्करा (sugar)+ 100-200ppm 8HQC।
- अधिकांश गुलाब की किस्मों को छंटाई के बाद खिलने में 60-70 दिन लगते हैं।
- भारत के पश्चिमी भाग में गुलाब में विंटेरींग (wintering) समान्यत सितंबर-अक्टूबर की जाती है
- होसुर, तमिलनाडु गुलाब उगाने में विश्व में दूसरे स्थान पर है।
- गुलाब का तेल दुनिया का सबसे महंगा तेल है।
- रोजा फोटिडा (Rosa foetida) से पीला रंग निकाला जाता है।
- गुलाब 8 साल तक व्यावसायिक उपज देता है।
- अमोनिया के जमा होने के कारण गुलाब की पंखुड़ियों का रंग नीला (Bluing) हो जाता है।
गुलाब की खेती के लिए ग्रीनहाउस प्रकार
- हल्की / मध्यम जलवायु परिस्थितियों जैसे बैंगलोर और पुणे में प्राकृतिक रूप से हवादार पॉलीहाउस में गुलाब की सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है।
- हालांकि, गर्म और उच्च तापमान जैसे हैदराबाद और दिल्ली में गुलाब के लिए एक फोर्स्ड वेंटिलेशन सिस्टम (फैन – पैड प्रकार के ग्रीन हाउस) की आवश्यकता होती है।
वातावरणीय आवश्यकता
- गुलाब एक सूर्य-प्रेमी पौधा है जिसके लिए उच्च प्रकाश तीव्रता (6000 – 8000 फीट कैन्डल) की आवश्यकता होती है।
- दिन और रात का तापमान क्रमशः 24 -260 C और 15 – 170 C आवश्यक है,
- सापेक्षिक आर्द्रता -75%
- CO2 स्तर 1000 पीपीएम तक।
महत्वपूर्ण किस्में
फर्स्ट रेड, लम्बाडा, अंबेससड़ोर (Ambassidor), नोबलेसी साशा, पैपिलॉन, ग्रैंड गाला, स्काईलाइन पोलो, कंफ़ेद्दी रवेल लवली (Confetti Ravel Lovely), रेड ओसियाना, गोल्डन गेट, ट्यूनिके (Tunike)
मीडिया (Media)
- मिट्टी और मिट्टी रहित दोनों सबस्ट्रेट्स (रॉकवूल, पीट, स्फाग्नम मॉस, वर्मीक्यूलाइट्स, पेर्लाइट, लीफ मोल्ड, कोको पीट, चावल की भूसी आदि)
- पीएच 5-6.8
- 30-40 सेमी गहरी अच्छी तरह से सूखा, छिद्रयुक्त, कार्बनिक पदार्थों से भरपूर।
- 30 मिनट के लिए 70-1000C पर भाप के साथ पाश्चराइज करें या 24-48 घंटे के लिए मिथाइल ब्रोमाइड @ 25-30g/M2 अथवा 10ml/क्यूबिक फिट का उपयोग करें। या फॉर्मेलिन @ 7.5-10.0 लीटर/100 वर्ग मीटर या बासमिड (डैज़ोमेट) @ 30-40 ग्राम/ वर्ग मीटर
क्यारी का आकार
- 1-1.6 मीटर चौड़ी,
- 30-40 मीटर लंबी और
- 15-20cm/ 30-40cm ऊंची
- दो क्यारियों के बीच 5-0.75 मी. की दूरी।
दूरी (spacing)
- पंक्तियों के बीच 30-40 सेमी,
- पौधों के बीच 14-18 सेमी या 15-20 सेमी,
- 6-9 पौधे/मीटर2, हालांकि, 7 पौधे/ मीटर2 सर्वोतम,
रोपण
- मई-जून के दौरान 6-18 महीने पुराने कलिकायन से तैयार पौधे लगाए जा सकते हैं।
- मिट्टी ढीली और नम होनी चाहिए लेकिन बहुत गीली नहीं होनी चाहिए।
- रोपण 2-पंक्ति प्रणाली से भी किया जा सकता है।
- 40 मीटर में पौधों को 6 पंक्तियों में लगाया जा सकता है।
- एक पंक्ति में पौधों के बीच की दूरी लगभग 15-20 सेमी होती है।
- जिससे प्रति वर्ग मीटर 7 से 8 पौधे (किसान और खेती प्रणाली के आधार पर) लगते है।
खाद
- अच्छी तरह से अपघटित FYM को क्यारी में 100 टन/हेक्टेयर की दर से दिया जाना चाहिए।
- पत्ती विश्लेषण के आधार पर गुलाब के पौधे की पोषक संयोजन 0% N, 0.2% P, 1.8% K, 1.0% Ca और 0.25% Mg होता है।
- पोषक तत्वों की आवश्यकता NPK और Mg @ 1 : 0.2 : 1.2 : 0.3 होती है
- फर्टिगेशन 170ppm N, 34ppm P, 160ppm K, 120ppm Mg प्रति सिंचाई।
सिंचाई
- रोपण के 3-4 सप्ताह बाद एक समान पानी देने के लिए ड्रिप सिंचाई का उपयोग किया जा सकता है।
- प्रत्येक पौधे को एक लीटर/पौधे/दिन पानी देना चाहिए।
- पॉटिंग मिक्स में सीधे पानी की आपूर्ति करने से पौधा अपने आप गीला नहीं होता इसलिए बीमारियों से बचा रहता है।
- सिंचाई प्रणाली की ड्रिपर लाइन को दो पंक्तियों के बीच जमीन पर रखा जाता है, इससे ड्रिपर लाइन में पानी का तापमान कम रहता है और ड्रिपर लाइन सीधी धूप की पहुंच से दूर रहती है।
रोपण के बाद फसल का रख-रखाव
गुलाब में झुकना (Bending in Rose)
- रोपण के बाद, शाखा तेजी से विकसित होगी।
- फूल की कली स्पष्ट रूप से दिखाई देने के बाद फूल कलियों को हटा दिया जाता हैं और सभी शाखाओं को जमीन की ओर मोड़ देते हैं इस प्रक्रिया को ‘झुकना’ के रूप में जाना जाता है।
- चूंकि इस समय पौधे जमीन से लगभग 40 सेमी ऊपर बढ़ चुके होते है, इसलिए तनों को गहराई (कलिकायन के पास) से मोड़ना संभव होता है।
- मोड़ते समय सावधान रहें कि शाखा न टूटें, जिस से पौधे ये क्षेत्र शर्करा को नए विकासशील शाखाओं तक ले जाने में सक्षम हो सकें।
- पौधे में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जो शूट विकास (संतुलन साइटोकिनिन / ऑक्सिन) को बढ़ावा देते हैं।
- गुलाब में बेन्डिंग करने से पत्ती क्षेत्र बढ़ जाता है और पौधा अधिक मात्रा में प्रकाशसश्लेषण करने लग जाता है और उत्पादन में वृद्धि होती है
- प्रति पौधे 2 से 3 अच्छी वृद्धि वाली शाखाओ को बढ़ते रहने दिया जाता है, यदि अधिक शाखाये बनती हैं तो इन शाखाओ को भी मोड़ने की सिफारिश की जाती है।
- प्राथमिक मोड़ना: मजबूत फ्रेम वर्क बनाने के लिए रोपण के 5-6 सप्ताह बाद करना पड़ता है।
- द्वितीयक मोड़ना: पहले मोड़ने के 4-5 सप्ताह बाद अधिक संख्या में मजबूत शाखा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
गुलाब में प्रूनिंग
प्रूनिंग से तात्पर्य पौधे के एक निश्चित हिस्से को हटाने से है। प्रूनिंग में विरला करना और तने को छोटा करने के दो ऑपरेशन होते हैं।
1) विरलीकर्ण (Thinning): विरलीकर्ण में पुराने, कमजोर, सूखे और रोगग्रस्त तनों और शाखाओं को शुरू से ही हटाना शामिल है।
2) छोटा करना (Shortening): इसका अर्थ है शेष प्ररोहों को छोटा करना, जिसका उद्देश्य पिछले वर्ष की वृद्धि को वांछनीय ऊंचाई तक कम करना है।
छंटाई के उद्देश्य
- अनुत्पादक वृद्धि को दूर करने के लिए, क्योंकि गुलाब के पौधे में नए वृद्धि पर फूल लगते हैं।
- बड़ी संख्या में मजबूत और स्वस्थ प्ररोहों (शाखाओं) का उत्पादन सुनिश्चित करना।
- फूलों के उत्पादन में गुणवत्ता के साथ सुधार करना।
- प्रूनिंग से कली को सबसे मजबूत प्ररोह (शाखा) उत्पन्न करने के लिए बाध्य करना।
- यह गुलाब की झाड़ी को उचित आकार में रखता है।
- गुलाब की झाड़ी के बीच में प्रकाश और हवा को पहुंचने में मदद करना।
- विभिन्न उद्यानिकी कार्यों जैसे निराई, किटाणुनाशन, खाद की सुविधा के लिए लंबे और सीधे तनों की कटाई करना।
- पुराने पौधों को फिर से जीवंत करना। मजबूत शाखाए प्राप्त करने के लिए पुराने पौधों को आधार से काट दिया जाता है।
छंटाई का समय
- देर से छंटाई फूल आने में देरी करती है और साथ ही उत्पादन को काफी कम कर देती है।
- गुलाब की छंटाई के लिए सबसे अच्छा समय वह अवधि है जब गुलाब के पौधे की गतिविधि कम से कम होती है और पौधा सुप्त अवस्था में होता है।
- शीतोष्ण जलवायु में, यह आमतौर पर वसंत ऋतु में किया जाता है।
- भारत में एक बड़े क्षेत्र (इंडो-गंगा के मैदानों) में वर्ष में केवल एक बार छंटाई की जाती है।
- छंटाई का सामान्य समय अक्टूबर-नवंबर के दौरान होता है।
- कुछ क्षेत्रों में वर्ष में दो बार छंटाई की जाती है, अर्थात् मई और अक्टूबर में क्रमशः मानसून और सर्दियों में फूल आने के लिए।
गुलाब की छंटाई के सिद्धांत
- गुलाब के प्रत्येक तने में पत्ती की धुरी (आमतौर पर बाहर और अंदर) में विपरीत दिशा में बारी-बारी से आंखें (कलियां) होती हैं।
- प्रूनिंग का मूल नियम यह है कि एक उभरी हुई कली से लगभग आधा सेंटीमीटर ऊपर से काटा जाए, जो उस दिशा में पाई जाती है जिस दिशा में शाखाओं को बढ़ाना चाहते है।
- चूंकि गुलाब की झाड़ी को बीच में से खुला रखना होता है।
- स्टैन्डर्ड गुलाब के साथ-साथ फ्लोरिबंडस में एक बाहरी बढ़ती कली के ऊपर से काटा जाता है।
- जहां लता गुलाबों में छंटाई कम या ज्यादा ऊपर की ओर इशारा करते हुए कली पर की जाती है।
- केंद्र को खुला रखने के लिए हमेशा बाहरी कली को प्रोत्साहित करें।
- कली के ऊपर कट थोड़ा तिरछा होना चाहिए।
- काटते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह आंख (कली) से बहुत ऊपर न हो क्योंकि इससे उस भाग के सूखने की संभावना हो सकती है।
- दूसरी ओर यदि कटान कली के बहुत निकट है, तो वह रस प्रवाह के कारण मर सकता है। इसलिए कली से एक इंच ऊपर से काटे।
- नुकीले सिरे को साफ करना नितांत आवश्यक है क्योंकि टूटे हुए ऊतक, छाल के घाव या लटके हुए टुकड़े कीटों और बीमारियों के संक्रमण को आमंत्रित करेंगे।
- सभी कटे हुए सिरों को कवक के हमले से बचाने के लिए तांबे के कवकनाशी के साथ उपचारित करना चाहिए।
छँटाई के प्रकार
छँटाई तीन प्रकार की होती है
1. हल्की छँटाई (Light pruning)
- सूखी और मृत शाखाओं को काट दिया जाता है।
- फूल वाले डंठल के ठीक नीचे दूसरी या तीसरी आँख की कली को काटें।
- स्टैन्डर्ड, लता गुलाब में शीर्ष को 2-3 कलियों के साथ हटाया जाता है।
2. मध्यम छंटाई (Moderate pruning)
- स्वस्थ प्ररोहों (शाखाओं) को आधार से वापस 45-60 सेंटीमीटर तक काटा जाता है।
- आमतौर पर फ्लोरिबंडस और एचटी गुलाब में उपयोग किया जाता है।
3. कठोर छंटाई (Hard pruning)
- यहाँ पिछले साल के वृद्धि की केवल तीन या चार शाखाएं रखते हुए और आधार से लगभग तीन या चार आँखों के ऊपर से काटा जाता है।
- पुरानी झाड़ियों और कमजोर पौधों के कायाकल्प के लिए कली जोड़ (bud joint) से 10-30cm लंबी शाखा को छोड़ कर ऊपर से पौधे को काटा जाता है।
डी-शूटिंग (De-Shooting)
- पत्तियों की धुरी (axil) से विकसित होने वाले युवा आधारी और सहायक शाखाओं को केवल एक टर्मिनल / मध्य शाखा छोड़ कर हटा दिया जाता है।
- यह पुष्प डंठल की लंबाई की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
डिसबडिंग
- अवांछित कलियों को हटाना डिसबडिंग के रूप में जाना जाता है।
- केवल केंद्रीय कली रखने और दूसरों को हटाने से एक गुणवत्ता वाले फूल का विकास होता है।
बड कैपिंग (Bud Capping)
फूलों की कलियों को नायलॉन की एक टोपी में डाला जाता है जो कली के आकार को बढ़ाने में मदद करता है, परिवहन में क्षति से बचाता है, और पैकेज में माइक्रॉक्लाइमेट को बनाए रखता है।
तुड़ाई
- रोपण के 4-5 महीने बाद उपज शुरू हो जाती है।
- फूल की कलियों को टाइट बड़ अवस्था में अधिक दूरी के लिए काटना चाहिए।
- तने की लंबाई 40-90 सेमी तक होनी चाहिए है।
- कटाई करते समय, पहले 5-पत्ती अवस्था से नीचे से काटना चहिये।
- बचे हुए तने की लंबाई उन टहनियों (फूलों के तने) की संख्या तय करती है जो वापस उगेंगे।
- यदि बहुत अधिक (4-6 सेमी) तना छोड़ दिया जाता है, तो शाखाएं खराब गुणवत्ता की बनने लग जाती हैं। इसलिए इसे 1 सेमी तक काटने की सलाह दी जाती है।
- हर दो घंटे में ग्रीनहाउस में फूलों की कटाई की जा सकती है। स्टेम कट हमेशा एक स्वस्थ, साफ और तेज स्केटियर के साथ किया जाना चाहिए।
उपज
- बड़े संकर टी, मध्यम प्रकार और छोटे या स्प्रे में फूलों की उपज क्रमशः 100-150 तने, 200-225 और 250-350 तने प्रति मीटर2 तक होती है।
कटाई के बाद की तकनीक (Post-harvest technology)
तने को काटने के तुरंत बाद फूल की कली की गर्दन तक साफ पानी में डुबो देना चाहिए। कटे हुए फूलों को पानी में रखने में देरी से हवा प्रवेश हो जाती है और संवहनी रुकावट होती है।
- प्री-कूलिंग (Pre-cooling)
कोल्ड स्टोरेज में 4.4-7.20C के तापमान में, फूलों को छिपी हुई (Field Heat) को दूर करने के लिए कटाई के तुरंत बाद रखना पड़ता है जो फूलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
आमतौर पर प्री-कूलिंग सर्दियों में 6-8 घंटे और गर्मियों में 8-12 घंटे तक की जाती है।
फिर उन्हें कोल्ड चेन बनाकर बाजार भेजना पड़ता है
- पलसिंग (Pulsing)
कटे हुए फूलों को 3-4 घंटे के लिए 2-4% सुक्रोज के घोल से उपचारित करें। यह कटे हुए फूल को बहुत कठोर और फुला हुआ बनाकर फूल की गुणवत्ता में सुधार करता है। साथ ही भंडारण में फूलों की गर्दन झुकती (bending of Neck), नहीं है.
- ग्रेडिंग (Grading)
- जिन फूलो में एकसमान तने की लंबाई हों और फूलों की कलियाँ विकसित हो रही हों, उन्हें काटते समय एक साथ समूहित करके एक अलग कंटेनर में रखना चाहिए।
- फूलों की कटाई के समय आधारीय पत्ते और कांटों को संभालने में आसानी के लिए 20 सेमी तक हटाया जा सकता है।
- पैकिंग (Packing)
- श्रेणीबद्ध(Graded) कटे हुए फूलों को नालीदार गत्ते के बक्से (corrugated cardboard boxes) में पैक किया जाना चाहिए।
- पैक किए जाने वाले गुलाबों की गुणवत्ता और मात्रा के अनुसार बक्सों का आकार बदलता रहता है।
- 100cm लंबाई x 32.5cm चौड़ाई और 5cm ऊंचाई का एक बॉक्स 65-70cm लंबे तने के 80 गुलाबों के लिए पर्याप्त रहता है।
- बॉक्स के अंदर पतली पॉलिथीन शीट और बहुत महीन अखबार को बिछाया जाता है। खिलने के लिए एक कुशन प्रदान करने के लिए नम टिशू पेपर बॉक्स के अंत तक फैलाए जाते हैं।
- आम तौर फूलों को 20-20 के बंडल बना कर उन को स्ट्रिंग या रबर बैंड से बांधा जाता है फिर बॉक्स में पैककिया जाता हैं
- प्रत्येक बंडल के ऊपरी भाग में फूलों की कलियाँ को एक नालीदार कागज में लपेटा जाता है जिसे एक चिपकने वाली टेप या रबर से बांधा जाता है
- दो बंडलों को बक्सों की लंबाई के साथ एक दूसरे के सामने इस तरह रखा जाता है कि उनकी फूल कलियाँ बॉक्स के किनारे की ओर हों और उनका तना बक्सों के केंद्र की ओर हो और किनारों पर कुशनिंग हो प्रदान किया जाता है।
- बॉक्स का कवर डालने से पहले बॉक्स के अंदर के हिस्से को अंतत: टिशू पेपर की शीट से ढक दिया जाता है। फिर सभी विवरणों के साथ लेबलिंग की जाती है जिसमें किस्म, रंग, तने की लंबाई, फूलों की संख्या / बंडल, एक बॉक्स में फूलों की कुल मात्रा और फर्म आदि शामिल हैं।
- इन बॉक्स का वजन लगभग 5-6 किलो होता है।.
भौतिक विकार
- बैंड नेक (Bend-neck)
भंडारण और परिवहन के दौरान गुलाबों में गर्दन का मुड़ना एक बड़ी समस्या है। गुलाब का डंठल फूल की कली के काफी करीब मुड़ जाता है जिससे इस फूल की कीमत कम हो जाती है।
कारण
- समय से पहले तुड़ाई: तुड़ाई समय से पहले करने पर फूल और उससे जुड़े ऊतक पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते हैं।
- तुड़ाई के बाद का तनाव: जैसे खराब पोषण या प्री कूलिंग की कमी
- अनुचित भंडारण: प्रशीतन की कमी या बहुत लंबे समय तक संग्रहीत करना।
- एथिलीन के संपर्क में आने से फूल की आयु कम हो जाती है
- अपर्याप्त पानी का सेवन: उचित मात्रा में पानी का सेवन न कर पाने के कारण फूल मुरझा जाते है
- बुलहेड (Bulhead)
- बुलहेड्स में फूल के आकार में वृद्धि हो जाती है और फूल के व्यास से लम्बाई का अनुपात कम रह जाता है, जो एक नुकीले सिरे के बजाय कली को एक सपाट-शीर्ष रूप देता है।
- फूलों के शुरुआती विकास के दौरान तापमान 120 या उससे कम के स्तर तक गिर जाना।
- बुलहेड्स पौधे में जिबरेलिन और साइटोकिनिन के असंतुलन के कारण होते हैं। कम तापमान जिबरलिन की गतिविधि को कम करता है और साइटोकिनिन गतिविधि को बढ़ाता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि सर्दियों के दौरान साइटोकिनिन युक्त जड़ उत्तेजक से फूलों उपचारित न करें। इसके विपरीत, जिबर्लिन के साथ उपचार से बुलहेड्स की संख्या कम हो जाएगी।
प्रबधन
- पौधो को कम तापमान से बचाना चाहिए।
- सर्दियों में साइटोकिनिन युक्त जड़ उत्तेजक का प्रयोग न करें।
- स्लीपीनस (Sleepiness)
परिवहन के समय एथिलीन की चोट के कारण गुलाब का फूल कभी नहीं खुलता है और यह हमेशा कली के रूप में रहता है।
कीट नियंत्रण
- एफिड्स (मैक्रोसिफ़म रोज़े)
ये छोटे, काले रंग के साथ हरे रंग के होते हैं। युवा और वयस्क दोनों युवा टहनियों, कलियों और फूलों से रस चूसते हैं। इसका प्रकोप जनवरी-फरवरी के महीनों में पत्तियों और फूलों की कलियों पर अधिक होता है। पत्तियों का रंग फीका कर देते हैं और फूलों की कलियों को प्रभावित करते हैं जो गिरती हैं और अपनी सुंदरता खो देती हैं।
नियंत्रण
0.1% मैलाथियान या मेटासिस्टोक्स (0.1-0.2%) या रोगोर (0.1-0.2%) का छिड़काव करना चाहिए।
- लाल स्केल (लिंडिगैप्सिस रोज़े)
यह गुलाब का एक बहुत ही गंभीर कीट है जो ज्यादातर अगस्त और सितंबर में हमला करता है। शाखाएँ लाल-भूरे रंग के पपड़ी से ढकी जाती हैं जिसके नीचे कीट पौधों का रस चूसते हैं।
नियंत्रण
इन कीटों को अप्रैल में और फिर अक्टूबर में मैलाथियान (0.1%) या पैराथियान (0.25%) का छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है।
- चेफ़र बीटल (ऑक्सीसिटोनिया वर्सिकलर)
इन भृंगों (beetles) के वयस्क अगस्त-सितंबर में दिखाई देते हैं और पत्तियों को काट देते कर नुकसान पहुंचते है.
नियंत्रण
इसे डाइमेथोएट (1.5 मिली/लीटर) या मोनोक्रोटोफोस (1 मिली/ली) द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
रोग नियंत्रण
- उल्टा सूखा (डिप्लोडिया रोसारम)
यह गुलाब का एक बहुत ही गंभीर रोग है और छंटाई के बाद प्रकट होता है। कटे हुए टहनियों का सूखना और काला पड़ना ऊपर से नीचे की ओर शुरू होता है। तना काला होकर मर जाता है।
कारण
ज्यादा उर्वरकों और खाद का उपयोग, अत्यधिक सिंचाई और खराब जल निकासी की सुविधा, पौधे में कम प्रकाश का प्रवेश।
प्रबंधन
- इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए, संक्रमित हिस्से को हटाकर जला देना चाहिए और कटे हुए सिरों को चौबटिया पेस्ट (4 भाग कॉपर कार्बोनेट + 4 भाग रेड लेड + 5 भाग अलसी का तेल) या बोर्डो पेस्ट,
- उर्वरक की उचित मात्रा का प्रयोग
- उचित जल निकासी की सुविधा
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (50%) के 3 ग्राम / लीटर का छिड़काव करना चाहिए।
- काले धब्बे (डिप्लोकार्पोन रोज़े)
यह रोग आर्द्र महीनों के दौरान गुलाब दिखाई देता है। पत्ती के दोनों ओर झालरदार किनारों वाला विशिष्ट गोलाकार काला धब्बा (1 सेमी से छोटा) दिखाई देता है; पत्तियां पीली पड़ कर सुख जाती हैं, और समय से पहले गिर जाती हैं।
नियंत्रण
इसके नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम/लीटर पानी) या कैप्टन (0.2%) कवकनाशी का पखवाड़े के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।
- चूर्णी फफूंदी (स्पैरोथेका पैनोसा var रोज़े)
यह एक गंभीर बीमारी है जो तब होती है जब दिन गर्म और रातें ठंडी होती हैं। युवा बढ़ती शाखाएं और पत्ते सफेद चूर्ण से ढके होते हैं। प्रभवित पत्तियाँ बैंगनी होकर गिर जाती हैंऔर फूल की कलियाँ खुलने में विफल हो जाती हैं।
नियंत्रण
80% सल्फर डस्ट का उपयोग करें या पाक्षिक अंतराल पर 0.1% केराथेन कवकनाशी का छिड़काव करें।
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