Basic Horticulture

उद्यान विज्ञान – परिभाषा, शाखाएं, महत्व और विस्तार

Horticulture शब्द सत्रहवीं शताब्दी में अस्तित्व में आया इस शब्द का सर्वप्रथम उपयोग Peter Lauremberg’s (1631) ने अपने लेख में किया। इंग्लिश भाषा में E. Phillips ने अपनी किताब ‘The new word of English words’ (1678) में Horticulture शब्द का उपयोग किया।  

Horticulture शब्द Latin भाषा के ‘Hortus’ और ‘Colere’ जिनका अर्थ क्रमशः उद्यान तथा उगाना है से मिलकर बना है इसलिए उद्यान विज्ञान (Horticulture) Agriculture की एक शाखा है जिसमें उद्यान फसलों का अध्ययन किया जाता है उद्यान वाली फसलें जैसे फल, सब्जी, पुष्प, मसाले, औषधीय पौधे, रोपण तथा सुगंधित फसलें है।

 उद्यान विज्ञान की शाखाएं : –

  1. Pomology: – शब्द Pomology लेटिन भाषा के शब्द ‘Pomum’ मतलब फल (fruits) और Greek भाषा के शब्द ‘logy’ मतलब विज्ञान (science) से बना है तथा फलों के उत्पादन का विज्ञान Pomology कहलाता है
  2. Olericulture:शब्द Olericulture Latin भाषा के शब्द ‘oleris’ मतलब ‘शाक’ (pot Herb) तथा इंग्लिश भाषा के शब्द ‘culture’ मतलब ‘उगाना’ (cultivation) से मिलकर बना है इसलिए सब्जियों को उगाने का विज्ञान Olericulture कहलाता है।
  3. Floriculture: फूलों और अलंकृत पौधों को उगाने का विज्ञान floriculture कहलाता है।
  4. Landscape gardening: – किसी भू-भाग को अलंकृत पौधों और उद्यानीकी विधियों से सुन्दर बनाने की कला Landscape gardening कहलाती है।

इसके अलावा बागवानी में मसाले, रोपण, औषधीय और सुगंधित फसलें भी शामिल हैं और इन सभी फसलों की कटाई के बाद की प्रबंधन इसके अंतर्गत आती है।

महत्व और विस्तार

भारत में बागवानी फसलों का परिदृश्य बहुत उत्साहजनक है। कृषि में बागवानी फसलों के उत्पादन का प्रतिशत हिस्सा 33% हो गया है। कृषि और संबद्ध गतिविधियों में, बागवानी के लिए योजना परिव्यय की हिस्सेदारी जो IX योजना के दौरान 3.9% थी, बारहवीं योजना के दौरान 4.6% हो गई है।

NHB (2021-22) के अनुसार, भारत में पिछले कुछ वर्षों में बागवानी उत्पादन में वृद्धि देखी गई है। क्षेत्र विस्तार में उल्लेखनीय प्रगति हुई है जिसके परिणामस्वरूप अधिक उत्पादन हुआ है। 2021-22 के दौरान, 28.75 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र से बागवानी फसलों का उत्पादन 342.33 मिलियन टन था। सब्जियों का उत्पादन 2004-05 से 2021-22 तक 101.2 मिलियन टन से बढ़कर 204.84 मिलियन टन हो गया है और फलों का उत्पादन 2004-05 से 50.9 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 तक 107.24 मिलियन टन हो गया है। फलों की खेती का क्षेत्रफल 7.49 मिलियन हेक्टेयर था जबकि सब्जियों का क्षेत्रफल 11.35 मिलियन हेक्टेयर था (NHB 2021-22)

FAO (2021) के अनुसार, भारत सब्जियों में अदरक और भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक है और आलू, प्याज, फूलगोभी, बैंगन, पत्तागोभी आदि के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। फलों में, केले (26.45%), आम (मैंगोस्टीन और अमरूद सहित) (43.80%) और पपीता (39.30%) के उत्पादन में देश पहले स्थान पर है।

यही विशाल उत्पादन आधार भारत को निर्यात के लिए जबरदस्त अवसर प्रदान करता है। 2022-23 के दौरान, भारत ने रुपये 13185.30 करोड़/ 1635.95 अमेरिकी डॉलर मिलियन के ताजे फल और सब्जियों का निर्यात किया। जिसमें ताजे फल शामिल थे जिनकी कीमत रु. 6,219.46 करोड़/ 770.70 USD मिलियन और सब्जियां जिनकी कीमत रु. 6,965.83 करोड़/ 865.24 अमेरिकी डॉलर मिलियन थी।

अंगूर, अनार, आम, केले और संतरे देश से निर्यात होने वाले फलों का बड़ा हिस्सा हैं, जबकि प्याज, मिश्रित सब्जियां, आलू, टमाटर और हरी मिर्च सब्जी निर्यात टोकरी में बड़े पैमाने पर योगदान करती हैं।

Figure 1 (उत्पादन मेट्रिक टन में )

Figure 2 (हिस्सा प्रतिशत में)

Figure 3 उत्पादन में उद्यानिकी फसलों की हिस्सेदारी 

Table:- उद्यानिकी फसलों का क्षेत्रफल, उत्पादन और उत्पादकता

फसलें

क्षेत्रफल  (000, ha)

उत्पादन  (000, MT)

उत्पादकता (MT/ha)

फल

7049

107242

15.21

सब्जियां

11348

204835

18.05

फूल, और सुगंधित पौधे

951

3128

3.28

रोपण फसलें

4239

15488

3.65

मसले

4487

10814

2.41

कुल

28074

341507

12.16

 भारत विश्व में फलों और सब्जी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन देश है उत्पादन में पहला स्थान चीन का है| भारत आम, केला, नारियल, काजू, पपीता तथा अनार उत्पादन में पहले स्थान पर है तथा कुछ फलों की उत्पादकता भी बहुत अधिक है जैसे पपीता, केला आदि

यह अनुमान है कि हमारे देश में प्रति व्यक्ति फल की उपलब्धता 207.9 ग्राम है। प्रति दिन जो 230 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन की अनुशंसित मात्रा से काफी नीचे है।

इनको देखते हुए, बागवानी फसलों के उत्पादन और क्षमता में वृद्धि की बहुत गुंजाइश है।

भारत में फलों और सब्जियों के अलावा, नर्सरी पौधे, गमले वाले पौधे, बीज और कंद आदि के व्यापार से जुड़े फ्लोरीकल्चर (पुष्प विज्ञान) उद्योग को सूर्योदय उद्योग के रूप में देखा जा रहा है।

रोपण फसलें रोजगार सृजन, विदेशी मुद्रा अर्जन और बड़े पैमाने पर मानव जाति के समग्र सहायक जीविका निर्वाह के बहुत सारे अवसरों के साथ एक और संभावित क्षेत्र हैं।

उद्यान विज्ञान का महत्व निम्न प्रकार से है

  1. Income generation: – फलों, सब्जियों तथा रोपण फसलों को बेचकर मोटा पैसा कमाया जा सकता है क्योंकि इनकी प्रति हेक्टर उपज अधिक होती है मसाले और औषधीय पौधों की मांग अधिक है क्योंकि इनसे बहुत सारी दवाएं तैयार की जाती है |
  2. Employment Generation: उद्यानकी फसलों में मजदूरों की साल भर की आवश्यकता रहती है फसलों को उगाने से लेकर तुड़ाई तथा संसाधन में भी मजदूरों की आवश्यकता होती है इसलिए उद्यानकी फसलें अधिक रोजगार पैदा करती है |
  3. Industrial development: – उद्यानकी फसलें जैसे आलू, टमाटर, आम और रोपण फसलें फैक्टरियों को कच्चा माल देती है जिससे इनका विकास होता है और ये फैक्टरियाँ इनसे उत्पाद बनाकर बाजार में बेचती है ।
  4. Religious and sacred value: वृक्षों के पत्ते, पुष्प, फल आदि धार्मिक महत्व रखते है जिनका उपयोग रस्मों, संस्कारों तथा समारोहों में किया जाता है| जैसे नारियल और हल्दी का उपयोग पूजा में किया जाता है वेलपत्र के पत्ते भगवान शिव को चढाए जाते है तुलसी की पूजा की जाती है।
  5. Food value: कुछ सब्जियाँ जैसे आलू, शकरकंद आदि कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होती है काजू, बादाम, अखरोट में वसा तथा प्रोटीन पाया जाता है तथा कई क्षेत्रों में आलू और केला प्रधान भोज्य के रूप में उपयोग किया जाता है जो शरीर की सारी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।
  6. Nutritional value: – फल और सब्जियाँ पोषक तत्वों से भरपूर होती है इसलिए Indian council of Medical research (ICMR) ने 120 ग्राम फलों तथा 280 ग्राम सब्जियों को प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन खाने की अनुशंसा की है|

पोषक तत्व फल सब्जियों में निम्न प्रकार से है –

Vitamin A

आम (Mango)  – (4800 IU/100gm)> Papaya (पपीता)- (2020 IU/100gm)

Beet Leaf (चुकंदर की पत्ती) – (9770 IU/100gm) > Spinach Leaf (पालक की पत्ती) – (9300 IU/100gm)

Vitamin B (Thiamine)

Cashew nut (काजू)- (630mg/100gm) > Walnut (अखरोट) (450mg/100gm) > Apricot (dry) (सूखा हुआ खुमानी) – (217mg/100gm)

Chillies (मिर्च) – (0.55mg/100gm) > Colocasia Leaves (अरवी की पत्ती) -(0.22mg/100gm) > Tomato (टमाटर)-  (0.12mg/100gm)

Vitamin B2 (Riboflavin)

Bael (वेलपत्र) – (1191mg / 100gm) > Papaya (पपीता) – (250mg / 100gm) > Litchi (लीची) – (122.5mg / 100gm)

Fenugreek leaves (मेथी की पत्ती) – (0.31mg / 100gm) > Amaranthus (चौलाई) – (0.30mg / 100gm)

Vitamin C

Barbados cherry (चेरी) – (1000-4000mg / 100gm) > Aonla (आवलां) – (600mg / 100gm) > Guava (अमरूद) – (299mg / 100gm)

Drumstick Leaves (सहजन की पत्ती) – (220mg / 100gm) > Coriander Leaves (धनीयें की पत्ती) – (135mg / 100gm) > Chilli (मिर्च) – (111mg / 100gm)

Carbohydrate

Apricot (dry) (खुमानी) – (72.81%) > Date (Pind) (पिंड खंजूर)  – (67.30%) > Karonda (dry) (सूखा करोंदा)  – (67.10%)

Tapioca (टेपीओका) – (38.1%) > Sweet potato (शकर कंद) – (28.2%) > Potato (आलू) – (22.6%)

Protein

Cashew nut (काजू) – (21.20%) > Almond (बादाम)– (20.80%) > Walnut (अखरोट) – (15.60%)

Peas (मटर) – (7.2gm / 100gm) > Cowpea (चवला) – (4.3gm / 100gm)

Fat

Walnut (अखरोट) – (64.50%) > Almond (बादाम) – (58.90%) > Cashewnut (काजू) – (46.90%)

Fibre

Guava (अमरूद) – (6.90%) > Kaintha (केन्था) – (5.20%) > Pomegranate (अनार) – (5.10%) > Aonla (आंवला) – (3.40%)

Calcium

Litchi (लीची) – (0.21%) > Karonda (dry) (सूखा करोंदा) – (0.16%) > Kaintha (केन्था) (0.13%)

Phosphorus

Cashewnut (काजू) – (0.45%) > Walnut (अखरोट) – (0.38%) > Litchi (लीची) – (0.30%)

Iron

Karonda (dry) (सूखा करोंदा) – (39.1%) > Date (pind) (पिंड खंजूर) – (10.6%) > Cahewnut (काजू) – (5.0%)

  1. Aesthetic value:- बहुत से राजा – महाराजा वृक्षों को युवा होने का चिन्ह (symbol) मानते थे और इनका रोपण महल में करवाते थे। मुग़ल बादशाहों ने अपने उद्यानों की शैलियों में फल वृक्षों और फूलो को बहुत महत्व दिया है । वे cypress के पौधे को मृत्यु का प्रतीक मानते थे और इसका रोपण मकबरों के आस पास करवाते थे । वृत्तमान में फल वृक्षों को सड़क के दोनों ओर रोपित किया जाता है जिसे avenue Planting कहते है ।
  2. Export Value:- भारतीय मसलों और उत्पादों की विदेशों में बहुत मांग है भारत से हल्दी, कालीमिर्च, प्याज, आलू, आम, अंगूर आदि का निर्यात किया जाता है । मसलों के ऑलेओरेजिन, तेल की भी बहुत मांग है । इन उत्पादों को निर्यात करने से देश को विदेशी मुद्रा मिलती है ।