वानस्पतिक नाम – सिट्रस ग्रैंडिस (सिट्रस मैक्सिमा)
कुल – रूटेसी
उत्पत्ति – मलाया (Malaya)
गुणसूत्र संख्या – 18
- प्यूमेलो प्रकृति रूप से मोनोएम्ब्रायोनिक होता है।
जलवायु
- प्यूमेलो एक उष्णकटिबंधीय पौधा है लेकिन यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय दोनों जलवायु में उग सकता है।
- प्यूमेलो भारी वर्षा को भी सहन कर सकता है।
मिट्टी
अच्छे जल निकास वाली, पोषकों की उपलब्धतता में मध्यम, मध्यम से हल्की मिट्टी ।
किस्में
- काए पैन – थाईलैंड की
- बुंटान
- फॉर्मोसा
प्रवर्धन
- गूटी (एयर लेयरिंग) द्वारा व्यावसायिक रूप से प्रवर्धन
- प्यूमेलो के लिए आमतौर पर जट्टी खट्टी और जाम्बिरी जैसे मजबूत मूलवृन्त का उपयोग किया जाता हैं।
रोपण
- 6×6 से 8×8 मीटर की दूरी पर 60-75 सेमी3 आकार के गड्ढे खोदे जाते हैं।
- मानसून की शुरुआत में पौधारोपण किया जाता है।
सिंचाई
- पहली सिंचाई रोपण के तुरंत बाद।
- गर्मियों में 10 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 10-15 दिन के अंतराल पर।
- फूल आने और फल लगने की अवस्था के दौरान मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखनी चाहिए।
खाद एवं उर्वरक
- आम तौर पर, उर्वरक एक वर्ष में तीन बार यानी दिसंबर-जनवरी, जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर में दिया जाता है
- गोबर की खाद जून-जुलाई या सितंबर-अक्टूबर में दी जाती है।
- एन:पी:के- 600 : 400 : 600 ग्राम/पेड़
संधाइ और छंटाई
- युवा पौधों को सहारा दिया जाता है ताकि वे अच्छे से विकसित हो सकें।
- वाटर स्प्राउट, कमजोर, आड़ी-तिरछी शाखाओं को समय-समय पर काटा जाता है।
तुड़ाई
- उत्तर भारत – जनवरी से मार्च,
- दक्षिण भारत – सितंबर – नवंबर।
उपज
- 75- 100 फल/पेड़
- प्रति वर्ष 20 टन/हेक्टेयर