Vegetable Science

सब्जी उद्यानों के प्रकार

सब्जी उद्यानों के प्रकार 

सब्जियों की वटिकाओ को उत्पादन तथा उत्पाद के उपयोग के आधार पर निम्न प्रकार से बांटा जा सकता है जिसे थॉमसन तथा केल्ली ने सब्जियों के बागों/ वटिकाओ के लिए सुझाया है। 

I. गृह वाटिका 

परिवार की जरूरत के अनुसार सब्जियों को घर के आस पास खाली जगह पर उगाना गृह वाटिका कहलाती है गृह वाटिका का मुख्य उद्देश्य परिवार की रोजाना की आवश्यकता के अनुसार ताजी सब्जियां उगाना जिस से परिवार के सदस्यों को आवश्यक पोषक तत्व तथा ऊर्जा मिल  सके । गृह वाटिका में अलग अलग मौसम के अनुसार अलग अलग सब्जियां उगाई जाती है जिस से परिवार को साल भर सब्जियां मिलती रहे । गृह वाटिका घर के सदस्यों के लिए मनोरंजन तथा व्यायाम का अच्छा साधन भी है यह घर के खर्च को भी कम करता है तथा परिवार के जीवन स्तर को भी सुधरता है।

Table 1. गृह वाटिका की फसल पध्दती 

क्यारी सख्या

सब्जी और समय

सब्जी और समय

सब्जी और समय

1

पत्तागोभी (अक्तूबर-फरबरी)

चवला (मार्च-जून)

मेथी (अगस्त-सितंबर)

2

भिंडी (सितंबर-दिसंबर)

राजमा (जनवरी-मार्च)

गाजर (जून-जुलाई)

मिर्च (जून- मई)

लहसुन  (जून- दिसंबर)

मुली (जून- जुलाई)

4

मटर (सितंबर-नवंबर)

टमाटर (दिसंबर-मार्च)

भिंडी (अप्रैल-जून)

5

गाजर (सितंबर-नवंबर)

राजमा (दिसंबर-अप्रैल)

खीरा (मई-जुलाई)

6

शिमला मिर्च (सितंबर- दिसंबर)

राजमा (जनवरी-अप्रैल)

खीरा (मई-अगस्त)

7

चुकंदर (सितंबर-दिसंबर)

पत्तागोभी (दिसंबर-मार्च)

ग्वार (अप्रैल-जुलाई)

8

आलू (नवंबर-फरबरी)

चौलाई (नवंबर-अप्रैल)

चवला (मई-अप्रैल)

9

शकरकंद (अगस्त-सितंबर)

बेंगन (जनवरी-फरबरी)

गाजर (जून-जुलाई)

10

पालक (सितंबर-नवंबर)

शिमला मिर्च (जनवरी- फरबरी)

मुली (जून-अगस्त)

 

गृह वाटिका के प्रकार:-

a) फल और सब्जी की वाटिका

b) अकेली सब्जी की वाटिका

c) छत/ बालकिनी वाटिका (terrace garden):- शहरों और कस्वों में यहाँ जगह की कमी होती है वहाँ सब्जियों को छत/ बालकिनी में बड़े बड़े गमलों में उगाया जाता है। जिसे terrace garden जाता है ।

गृह वाटिका जगह के अनुसार बड़ी, मध्यम तथा छोटी हो सकती है

गृह वाटिका के लाभ:-

  1. गृह वाटिका परिवार के मनोरंजन तथा व्यायाम का अच्छा साधन है।
  2. घर के खर्च को कम करती है।
  3. इससे परिवार को ताजी, पोषक और कीट नाशक से मुक्त सब्जी साल भर मिलती रहती है।
  4. घर के आस पास खाली पड़ी जमीन और दूसरे साधनों जैसे रसोई का कचरा, पानी का सही उपयोग किया जा सकता है।
  5. अलग अलग सब्जियां परिवार के सदस्यों की रुचि के अनुसार उगाई जा सकती है।

गृह वाटिका की योजना तथा प्रबन्धन

जगह

गृह वाटिका के लिए जगह परिवार के सदस्यों के ऊपर निर्भर करती है परिवार के 5 सदस्यों के लिए कम से कम 250 वर्ग मीटर जगह काफी रहती है।

स्थिति

जैसा भी संभव हो जगह रसोई के नजदीक होनी चाहिए। अन्यथा घर के नजदीक हो। मृदा दोमट, बालूइ दोमट अच्छे जल निकास वाली तथा कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होनी चाहिए।

फसल व्यवस्था

बहुवर्षीय और फल वाले पौधे एक तरफ अथवा वाटिका के अंत में लगाने चाहिए जिस से कर्षण क्रियाओं में परेशानी ना हो। वेल वाली फसलें बाड़ के साथ लगानी चाहिए। जल्दी उगने वाली सब्जियां मध्य में क्यारियों में लगानी चाहिए।

 खाद एवं उर्वरक

गृह वाटिका के लिए गोबर की खाद अथवा कॉम्पोसट उपयुक्त रहती है फिर भी रसोई के कचरे की कंपोस्ट के साथ केमिकल उर्वरक देने से पौधे की बड़वार अच्छी होती है ।

अंतर शस्य

जैसे ही आवश्यकता हो खरपतवार निकलते रहना चाहिए, अगर किसी पौधे को सहारे की आवश्यकता हो तो सहारा देना चाहिए, मिट्टी चड़ानी चाहिए।

सिंचाई

सब्जियों को निश्चित अंतराल पर सिंचित करना चाहिए।

पौध सरंक्षण

सब्जियों में कीटों और बीमारियों का समय समय पर नियंत्रण करते रहना चाहिए जिस से स्वस्थ सब्जियां मिलती रहे।

तुड़ाई

तुड़ाई हमेशा सब्जी की उपयुक्त अवस्था पर करनी चाहिए जिस से सब्जी अच्छी गुणवता की मिल सके।

II. व्यवसायिक सब्जी उद्यान (commercial vegetable garden):-

सब्जियों को मंडी में बेचने के लिए बड़े क्षेत्र में उगाना व्यावसायिक सब्जी उद्यान कहलाते है जिनको निम्न प्रकार है :-

 i) मार्केट गार्ड्न (Market Garden)

ii) ट्रक गार्डन (Truck Garden)

iii) वेजिटेबल फोरसिंग (Vegetable Forcing)

iv) संसाधन के लिए सब्जियां उगाना (Vegetable growing for Processing)

  • डिब्बाबंदी (Canning)
  • हिमीकरण (Freezing)
  • सुखना (Dehydration)
  • आचार तथा किण्वन (Pickling and Fermentation)

vi) सब्जी बीज उत्पादन उद्यान (Vegetable seed Production Garden)

i) मार्केट गार्ड्न (Market Garden)

मार्केट गार्डन का मुख्य उद्देश्य नजदीकी मंडी के लिए सब्जियां उगाना। वर्तमान में यातायात की अच्छी व्यवस्था हो गई है इस लिए सब्जियों को दूर मंडियों तक ले कर जाना आसान हो गया है। जिस से किसान को आकर्षक तथा अच्छा मुनाफा हो जाता है । आज कल सब्जियों को मंडी तक ट्रक से ले जाया जाता है। समय पर सिंचाई, अच्छी गुणवता के बीज, साल भर सस्ते श्रमिक, और टाँसपोर्ट की सुविधा मार्केट गार्ड्निंग के लिए आवश्यक होता है।

शहर के नजदीक होने के कारण मार्केट गार्डन की भूमि अधिक मंहगी होती है इसी कारण यहाँ अधिक उत्पादन लेना और अधिक पैसे कमाना जरूरी हो जाता है । मार्केट गार्डनिंग के लिए उपयुक्त फसलें मटर, फूलगोभी, खीरा, टमाटर, मिर्च, प्याज आदि हैं। 

ii) ट्रक गार्डन (Truck Garden)

इस गार्डन के प्रकार में कुछ खास सब्जियों की खेती बहुत बड़े क्षेत्र /विस्तृत (extensive) में दूर की मंडियों के लिए की जाती है। वर्तमान में हाइवै, तथा अच्छी क्षमता के ट्रक आ जाने के कारण ट्रक गार्ड्निंग करने में सुविधा रहती है इस प्रकार की गार्ड्निंग के लिए जिस ‘truck’ शब्द का उपयोग किया गया है उसका मतलब मोटर ट्रक से नहीं है बल्कि यह एक फ्रेंच शब्द ‘troquer’ से लिया गया है जिसका अर्थ ‘to barter’ (अदला बदली / विनिमय) से है ट्रक गार्ड्निंग के मुख्य बिन्दु निम्न है :

  • इस प्रकार के उद्यान मंडी से दुर स्थित होते है जो की रेल अथवा की हाइवै से जुड़े रहते है ।
  • श्रमिक और भूमि का मूल्य कम रहता है
  • केवल कुछ ही सब्जियां जो जल्दी खराब नहीं होती उगाई जाती है जैसे: प्याज, आलू, हरी मिर्च, लहसुन आदि।
  • दूर मंडी के करना परिवहन का खर्च अधिक रहता है।
  • यांत्रिक खेती की जाती है जिससे उत्पादन खर्च कम रहता है।

iii) वेजिटेबल फोरसिंग (Vegetable Forcing)

सब्जियों को बेमौसम उगाना वेजिटेबल फोरसिंग कहलाता है । सब्जियों को ग्रीन हाउस, नेट हाउस, ग्लास हाउस में उगाया जाता है भारतीय स्थितियों में वेजिटेबल फोरसिंग ज्यादा उपयुक्त नहीं होती क्योंकि अधिकतर लोग मंहगी सब्जियों को नहीं खरीद सकते। वेजिटेबल फोरसिंग के मुख्य बिन्दु निम्न है :-

  • दूसरे विधियों की तुलना में उत्पादन की लागत अधिक होती है ।
  • वेजिटेबल फोरसिंग के लिए ग्रीन हाउस, नेट हाउस, ग्लास हाउस अथवा किसी अन्य सरंचना की आवश्यकता होती है ।
  • वेजिटेबल फोरसिंग में सब्जियों की खेती बहुत ही गहन/ सघन (intensive) होती है
  • इस के लिए तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता रहती है।
  • वातावरण को कृत्रिम तरीके से नियंत्रित किया जाता है।
  • इस प्रकार की खेती मांग आधारित होती है टमाटर, खीरा, मटर, शतावर आदि सब्जियां उगाई जाती है।

iv) संसाधन के लिए सब्जियां उगाना (Vegetable growing for Processing)

इस प्रकार के उद्यानों का मुख्य उदेश्य कारखानों के लिए सब्जियों को उगाना होता है यह उद्यान संसाधन के कारखानों के नजदीक अथवा आस पास के क्षेत्र में स्थित होते है भारत में कारखाने कम होने के कारण इस प्रकार के उद्यान बहुत ही कम है। परन्तु आने वाला समय इस प्रकार के उद्यानों के लिए उत्तम है इस प्रकार के उद्यानों के मुख्य विशेषताए निम्न है :-

  • उत्पादन की लागत कम होने के कारण सघन खेती नहीं होती।
  • इनके पहले से निर्धारित ग्राहक/ कारखाने होते है इसीलिए इन्हे मंडी की समस्या नहीं रहती।
  • सब्जियां कांट्रेट पर उगाई जाती है
  • सब्जियों की कुछ खास किस्मों को ही उगया जाता है।

परिरक्षण की विभिन विधियों के लिए उपयुक्त सब्जियां :-

  1. डिब्बाबंदी :- टमाटर, मटर, बीन्स, भिंडी, परवल, स्वीट कॉर्न, शतावर।
  2. हिमीकरण :- मटर, स्वीट कॉर्न, लिमा बीन्स, शतावर, फूलगोभी, पालक।
  3. सुखना:- प्याज, आलू, फूलगोभी, मटर, आदि।
  4. आचार और किण्वन :- शलजम, खीरा, पत्तागोभी, फूलगोभी, गाजर, मिर्च, और मुली।

v) सब्जी बीज उत्पादन उद्यान (Vegetable seed Production Garden)

किसी ऑरगेनीज़ेशन के अधीन सब्जियों के बहुत बड़े स्तर पर बीजों का उत्पादन किया जाता है । इस प्रकार के उद्यानों के लिए मृदा, जलवायु, रोग रहित कन्डिशन बहुत जरूरी है इस के लिए किसान को फसल की आदत, परागण का प्रकार, पृथक्करण की दूरी, रोगिग (rouging) का समय पता होना चाहिए। सुखना (curing), गहाई (threshing), साफ करना (cleaning), श्रेणीकरण (grading), पेकिंग (packing) और संग्रहीन की जानकारी किसान को होनी चाहिए। नुकलियर अथवा ब्रीडर सीड ब्रीडर के द्वारा तैयार किए जाते है फाउंडेशन सीड अनुसंधान केंद्र अथवा बीज कॉर्पोरेशन फार्म पर तैयार किए जाते है परन्तु सर्टिफाइड  (certified) बीज, बीज सर्टिफाइड एजेंसी की निगरानी में किसान के खेत पर उगाए जाते है इस प्रकार के उद्यानों की विशेषताए निम्न प्रकार से है ।

  • किसी विशेषज्ञ की निगरानी में सब्जियों को केवल बीज उत्पादन के लिए उगाया जाता है
  • सब्जियों को उपयुक्त जलवायु में कान्ट्रैक्ट पर उगाया जाता है
  • बीज की गुणवता को बड़ाने के लिए समय समय पर पृथक्करण दूरी तथा रोगिग (rouging) की जाती है।
  • कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है
  • कीटों और बीमारियों की रोकथाम पर अधिक खर्च किया जाता है

vi) तेरते हुए उद्यान (Floating garden)

इस प्रकार के उद्यान को पानी में तरते (float) हुए किसी सहारे पर उगाया जाता है कश्मीर की डेल झील में इन्हें देखा जा सकता है ऐसे क्षेत्रों में जहां भूमि की कमी होती है अथवा भूमि पानी से हमेशा निछन्द रहती है तरते हुए उद्यानों में सब्जियां उगाई जाती है ।

तेरता हुआ बेस (base) उन क्षेत्रों में उगने वाली टाइफ़ा घास (typha grass) से बनाया जाता है  जो पानी पर तेरता रहता है इस पर पत्ती की खाद ओर मिट्टी को मिला कर डाला जाता है फिर सब्जियों की पौध को रोपित किया जाता है और इन तेरते हुए उद्यानों को झील के बीच में ले जाकर बांध दिया जाता है इनमें कृषण क्रियाएँ नाव में बैठ कर की जाती है डेल झील में इस प्रकार के उद्यान गर्मियों में देखे जा सकते है ।